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एसआईआर का ‘जानलेवा’ दबाव: यूपी में दो कर्मचारियों की मौत; शादी से एक दिन पहले लेखपाल ने की खुदकुशी

• फतेहपुर में कानूनगो की फटकार के बाद लेखपाल ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में बयां किया दर्द

• गोंडा में ड्यूटी के दौरान शिक्षक की मौत, परिजनों का आरोप- काम के बोझ ने ली जान

• लेखपाल संघ का विरोध: ‘4 महीने का काम 1 महीने में कराने का बनाया जा रहा दबाव’

लखनऊ/फतेहपुर:

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का अभियान सरकारी कर्मचारियों के लिए भारी मुसीबत बनता जा रहा है। काम के अत्यधिक दबाव और समय सीमा की सख्ती के चलते प्रदेश में दो कर्मचारियों की मौत ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फतेहपुर में एक युवा लेखपाल ने अपनी शादी से महज एक दिन पहले आत्महत्या कर ली, जबकि गोंडा में एक शिक्षक की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। दोनों ही मामलों में परिजनों ने अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

शादी की खुशियां मातम में बदलीं

फतेहपुर जिले में एसआईआर ड्यूटी में तैनात लेखपाल सुधीर कुमार कोरी (38) की 26 नवंबर को शादी होनी थी। उन्होंने शादी की तैयारियों के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन आरोप है कि उन्हें छुट्टी नहीं मिली। परिजनों के मुताबिक, मंगलवार सुबह कानूनगो उनके घर पहुंचे और काम को लेकर जमकर फटकार लगाई। साथ ही, एक दिन की छुट्टी लेने पर सस्पेंड करने की धमकी भी दी गई।

सुधीर के एक मित्र ने बताया, “कानूनगो के जाने के कुछ मिनट बाद ही मानसिक तनाव में आकर सुधीर ने आत्महत्या कर ली।” पुलिस ने इस मामले में कानूनगो के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। सुधीर ने कड़े संघर्ष के बाद पिछले साल ही लेखपाल की नौकरी पाई थी और वे अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे।

गोंडा में शिक्षक की गई जान

दूसरा मामला गोंडा जिले का है, जहां प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक और जौनपुर निवासी विपिन यादव (32) की मंगलवार शाम मौत हो गई। विपिन बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के रूप में तैनात थे। परिजनों का कहना है कि विपिन पर काम का इतना दबाव था कि वे मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। विपिन के पिता सुरेश यादव ने बताया, “बेटे ने फोन पर कहा था कि बहुत दबाव है। प्रशासन अब हमारी तहरीर भी नहीं ले रहा है।” वहीं, प्रशासन ने मामले की जांच के लिए समिति गठित की है।

पूरे देश में 17 मौतें, कर्मचारियों में दहशत

एसआईआर का काम केवल यूपी ही नहीं, बल्कि देश के 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक काम के दबाव से जुड़ी कम से कम 17 कर्मचारियों की मौतें हो चुकी हैं।

यूपी में स्थिति यह है कि काम में लापरवाही के आरोप में 70 से अधिक कर्मचारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अकेले गौतमबुद्ध नगर में 60 से अधिक एफआईआर हुई हैं, जिससे कर्मचारियों में दहशत का माहौल है।

संघ का अल्टीमेटम

उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के अध्यक्ष राम मूरत यादव ने इन घटनाओं पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा, “जो काम चार महीने में होना चाहिए था, उसे एक महीने में पूरा करने का अमानवीय दबाव डाला जा रहा है। कर्मचारी पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”


(डिस्क्लेमर: आत्महत्या समस्या का हल नहीं है। यदि आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो मदद के लिए सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 पर संपर्क करें।)


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