कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती का लखनऊ से हुंकार, सपा-कांग्रेस को बताया ‘घोर जातिवादी’ और ‘छलावा’

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पार्टी संस्थापक मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक विशाल रैली में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दोनों दलों द्वारा कांशीराम को याद करने को केवल वोटों की राजनीति और “छलावा” करार देते हुए उन्हें “घोर जातिवादी” बताया।
कांशीराम स्मारक स्थल पर उमड़े हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, “सपा और कांग्रेस जैसी पार्टियां केवल चुनावी लाभ के लिए बाबासाहेब और कांशीराम जी का नाम लेती हैं। जब ये सत्ता में होती हैं तो उन्हें दलितों और पिछड़ों की याद नहीं आती, लेकिन सत्ता से बाहर होते ही वे संगोष्ठी और कार्यक्रम करने का ढोंग करती हैं।”
समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला
मायावती ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा ने अपने शासनकाल में कांशीराम का अपमान किया था। उन्होंने आरोप लगाया:
नाम बदलने का आरोप: “हमारी सरकार ने जो कासगंज जिला बनाकर उसका नाम ‘मान्यवर कांशीराम नगर’ रखा था, सपा ने अपनी जातिवादी मानसिकता के कारण उसका नाम बदल दिया।”
संस्थानों की उपेक्षा: उन्होंने कहा कि बसपा सरकार द्वारा कांशीराम के नाम पर बनाए गए विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों के नाम भी सपा ने बदले, जो उनका दलित विरोधी चेहरा दिखाता है।
राजकीय शोक न करने का आरोप: मायावती ने यह भी याद दिलाया कि जब कांशीराम का निधन हुआ था, तब तत्कालीन सपा सरकार ने एक दिन का भी राजकीय शोक घोषित नहीं किया था।
कांग्रेस को भी नहीं बख्शा
मायावती ने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद कांशीराम के निधन पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दलित प्रेम भी केवल दिखावा है।
योगी सरकार की तारीफ, सपा पर तंज
अपने भाषण के दौरान एक अप्रत्याशित मोड़ में, मायावती ने स्मारकों के रखरखाव के लिए उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा, “सपा सरकार ने इन स्मारकों के रखरखाव पर एक पैसा खर्च नहीं किया, जिससे इनकी हालत जर्जर हो गई थी। लेकिन मैं वर्तमान यूपी सरकार की आभारी हूं कि उन्होंने हमारी मांग पर ध्यान दिया और इन स्थलों की मरम्मत और रखरखाव सुनिश्चित किया।”
इस रैली को 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले बसपा के एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जहां मायावती ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
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