उत्तर प्रदेश

गाजीपुर में ‘स्टार लिंक’ के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड, एक करोड़ से ज्यादा की ठगी


गाज़ीपुर: जनपद में एक बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा हुआ है, जहाँ ‘स्टार लिंक’ नामक एक फर्जी (फिशिंग) वेबसाइट ने 500 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है। इस धोखेबाजी में गाजीपुर के साथ-साथ मऊ समेत कई अन्य जनपदों के लोगों ने एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम गँवा दी है। ठगी का शिकार हुए लोगों में 40-45 फीसदी सरकारी कर्मचारी बताए जा रहे हैं।


यह धोखाधड़ी तब सामने आई जब अचानक वेबसाइट बंद हो गई, और लोगों को अपने साथ हुई ठगी का अहसास हुआ। कई पीड़ितों ने साइबर सेल में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई है, जबकि कुछ ने कम रकम या पुलिस की भागदौड़ से बचने के लिए शिकायत दर्ज नहीं कराई।
लुभावने वादों से फँसाया, व्हाट्सएप ग्रुप बने ठगी का जरिया
मरदह निवासी राहुल कुमार के अनुसार, ठगों ने कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए थे, जिनके माध्यम से लोगों को जोड़ा जाता था। उनके ग्रुप में 865 सदस्य थे, जिनमें मऊ और आसपास के जिलों के लोग भी शामिल थे। इन ग्रुप्स में शामिल होने के लिए हर व्यक्ति को 1000 रुपये का निवेश करना होता था, और एक व्यक्ति एक से अधिक रजिस्ट्रेशन भी करा सकता था।
कंपनी हर दिन एक लिंक भेजती थी, जिसे क्लिक करने पर लोगों को 1 रुपये से 70 रुपये तक का बोनस मिलता था। यह सिलसिला पिछले छह महीने से चल रहा था, जिसने लोगों का विश्वास जीत लिया था।
नई स्कीम के बाद बढ़ी सदस्यों की संख्या
पिछले सप्ताह कंपनी ने एक नई और लुभावनी स्कीम निकाली। इस स्कीम के तहत, 1000 रुपये के निवेश पर एक सप्ताह में 1500 रुपये और 2000 रुपये के निवेश पर सात से आठ हजार रुपये देने का वादा किया गया। इस लालच में आकर, लोगों ने हजारों से लेकर दो लाख रुपये तक का बड़ा निवेश कर दिया। तीन दिन पहले ही, कंपनी ने अचानक अपनी वेबसाइट बंद कर दी।
पीड़ितों ने सुनाई अपनी आपबीती
कई पीड़ितों ने अपने अनुभव साझा किए हैं। मरदह के राहुल कुमार ने बताया कि उन्होंने एक महीने पहले 2000 रुपये का निवेश किया था, जो अब डूब गए हैं। नसरतपुर के नितेश यादव ने 3000 रुपये का फ्रॉड होने की शिकायत साइबर सेल में की है। मऊ के परिचित के कहने पर 15 हजार रुपये गँवाने वाले जगदीशपुर के नागेंद्र यादव ने मऊ के एसपी से शिकायत की है।
मरदह क्षेत्र में ही करीब 300 लोग इस ठगी का शिकार हुए हैं, जिनमें कई लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई गँवा दी है। इनमें धर्मेंद्र सिंह (1000 रु.), बृजेश (4500 रु.), नितेश (3000 रु.), नागेंद्र यादव (15000 रु.), शशि राजभर (11000 रु.) और पवन यादव (6000 रु.) जैसे कई नाम शामिल हैं।
कैसे काम करती हैं फिशिंग वेबसाइट्स?
साइबर सेल के अनुसार, फिशिंग वेबसाइट्स किसी भी विश्वसनीय संस्था की वेबसाइट जैसी दिखने वाली फर्जी वेबसाइट्स होती हैं। ये लुभावने ऑफर देकर लोगों को फँसाती हैं और बाद में उनका पैसा लेकर गायब हो जाती हैं।
एसपी डॉ. ईरज राजा ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे किसी भी लिंक पर क्लिक न करें। उन्होंने कहा कि लोग हर थाने में बने साइबर हेल्प डेस्क या साइबर थाने पर जाकर अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं, ताकि ठगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। यह घटना लोगों के लिए एक बड़ा सबक है कि वे ऑनलाइन निवेश और लुभावनी योजनाओं से सावधान रहें।

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