नई दिल्ली: देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और उनके शीर्ष नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोपों पर, आयोग ने तीखा पलटवार किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए, राहुल गांधी को सीधे चेतावनी दी है कि वे अपने आरोपों का हलफनामा (affidavit) दें या देश से माफी मांगें, इसके अलावा कोई तीसरा रास्ता नहीं है।
करीब 1 घंटे 25 मिनट लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस में, चुनाव आयोग ने चुनाव में धांधली, भाजपा के साथ मिलीभगत, फर्जी मतदाताओं और वोट चोरी जैसे सभी आरोपों का तथ्यों और तर्कों के साथ खंडन किया। आयोग का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उस पर उंगली उठाई जा रही है, लेकिन जब मतदाताओं को निशाना बनाया जाए, तो आयोग चुप नहीं रह सकता।
प्रमुख आरोपों पर चुनाव आयोग के जवाब:
मतदाता सूची में ‘फर्जी’ मतदाता और ‘जीरो’ पते:
राहुल गांधी के इस आरोप पर कि कई मतदाताओं के पते में ‘जीरो’ लिखा है, चुनाव आयोग ने कहा कि यह फर्जी मतदाता होने का सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों मतदाता ऐसे हैं, जिनके पास मकान नंबर नहीं होता, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। उन्होंने यह भी बताया कि कई मतदाता सड़कों पर सोते हैं और उनका पता ‘जीरो’ ही होता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता बनने के लिए मकान होना जरूरी नहीं है।
मशीन-पठनीय मतदाता सूची का आरोप:
राहुल गांधी ने कहा था कि चुनाव आयोग जानबूझकर ऐसी मतदाता सूची देता है जिसे मशीन से नहीं पढ़ा जा सकता। इस पर चुनाव आयोग ने 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मशीन-पठनीय मतदाता सूची (machine-readable voter list) देने से मतदाता की निजता (privacy) का उल्लंघन हो सकता है। आयोग ने कहा कि खोज योग्य (searchable) मतदाता सूची वेबसाइट पर उपलब्ध है, जहां लोग EPIC नंबर डालकर अपना नाम खोज सकते हैं, लेकिन मशीन-पठनीय सूची प्रतिबंधित है।
वोट चोरी और दोहरे EPIC नंबर का आरोप:
‘वोट चोरी’ और दोहरे EPIC नंबर के आरोपों को निराधार बताते हुए, चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसा कोई भी आरोप संविधान का उल्लंघन है। आयोग ने बताया कि मार्च 2025 में ऐसे लगभग तीन लाख मामले सामने आए थे, जहां EPIC नंबर एक जैसे थे, और उन सभी को ठीक कर दिया गया है। दोहरे EPIC नंबर वाले व्यक्ति का नाम एक से ज़्यादा जगहों पर वोटर लिस्ट में हो सकता है, लेकिन मतदान का अधिकार केवल एक जगह होता है।
सीसीटीवी फुटेज न देने का आरोप:
राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग सीसीटीवी फुटेज नहीं देता ताकि कोई सबूत न बचे। इस पर CEC ने कहा कि कानून के अनुसार, चुनाव नतीजे घोषित होने के 45 दिनों के भीतर राजनीतिक दल चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। जब उस अवधि में कोई अनियमितता नहीं मिली, तो इतने दिनों बाद बेबुनियाद आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी मतदाता के सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक करना उसकी निजता का उल्लंघन होगा।
‘चुनाव आयोग चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा’
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्षता को दोहराते हुए कहा, “जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही हो, तो आज चुनाव आयोग सबको स्पष्ट करना चाहता है कि वह निडरता के साथ सभी मतदाताओं के साथ बिना किसी भेदभाव के चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।”
आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को समान बताते हुए कहा कि वह किसी का पक्ष या विपक्ष नहीं है, और अपने संवैधानिक कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटेगा।
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