वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक ट्वीट ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है, जिससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का अंत अब करीब हो सकता है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “BIG PROGRESS ON RUSSIA. STAY TUNED!”, जिसके कुछ ही घंटों बाद रूस की ओर से एक बड़े नीतिगत बदलाव के संकेत मिले हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप के दूतों को इशारा दिया है कि यदि अमेरिका और यूरोप मिलकर यूक्रेन को नाटो के “सामूहिक रक्षा” जैसी सुरक्षा गारंटी देते हैं, तो रूस इसे स्वीकार कर सकता है। यह पुतिन के अब तक के सबसे कड़े रुख से एक बड़ी नरमी मानी जा रही है।
[तस्वीर: एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप और दूसरी तरफ वोलोदिमिर जेलेंस्की की फाइल तस्वीरों का कोलाज।]
क्या है पुतिन का प्रस्ताव?
ट्रंप की टीम ने पहली बार खुलकर यह बताया है कि पुतिन इस बात पर तैयार हैं कि पश्चिमी देश यूक्रेन को एक सुरक्षा गारंटी दें। इस डील के तहत रूस की यह शर्त पूरी हो जाएगी कि यूक्रेन सीधे तौर पर NATO का सदस्य न बने, वहीं यूक्रेन को भविष्य में किसी भी हमले से सुरक्षा का आश्वासन भी मिल जाएगा। इसे रूस और पश्चिमी देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
मैक्रों की त्वरित कार्रवाई
ट्रंप के इस बयान के तुरंत बाद, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मेज़बानी में नाटो नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच एक आपात वर्चुअल बैठक हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जेलेंस्की के आगामी व्हाइट हाउस दौरे से पहले एक साझा रणनीति बनाना था। इस कॉल में ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर, इटली की जॉर्जिया मेलोनी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन जैसे बड़े नेता शामिल थे।
यूक्रेन का अडिग रुख
मीटिंग के बाद यूरोपीय यूनियन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि किसी भी शांति समझौते में सुरक्षा गारंटी अनिवार्य है। हालांकि, पुतिन की डोनेट्स्क में जमीन की मांग पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया, “यूक्रेनी संविधान में इसकी कोई गुंजाइश नहीं।” उन्होंने साफ किया कि यूक्रेन की संप्रभुता पर कोई रोक स्वीकार्य नहीं होगी। अब सारी निगाहें जेलेंस्की के वॉशिंगटन दौरे पर टिकी हैं, जिससे इस शांति पहल की दिशा तय होगी।
डील के मुख्य बिंदु:
- रूस की नरमी: यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी पर सहमत।
- पश्चिम की रणनीति: जेलेंस्की के वॉशिंगटन दौरे से पहले साझा रुख तय।
- यूक्रेन का स्टैंड: संप्रभुता और अखंडता पर कोई समझौता नहीं।
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