फतेहपुर: जनपद के असोथर और बहुआ विकास खंडों में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। स्थानीय सूत्रों और ग्रामीणों का आरोप है कि सत्ता का संरक्षण प्राप्त कुछ ग्राम प्रधान और उनके प्रतिनिधि विकास कार्यों के लिए आवंटित धन का खुलेआम बंदरबांट कर रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारी कथित तौर पर सब कुछ जानते हुए भी मौन साधे बैठे हैं, जिससे सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मुख्य बिंदु:
1 फतेहपुर के असोथर और बहुआ ब्लॉक में सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप।
2 ग्रामीणों ने प्रधानों और प्रतिनिधियों पर सत्ता के संरक्षण में योजनाओं का पैसा लूटने का आरोप लगाया।
3 शिकायतों के बावजूद अधिकारियों पर जांच में लीपापोती करने और कार्रवाई न करने का आरोप।
जांच के नाम पर लीपापोती
बहुआ ब्लॉक की चक इटौली ग्राम पंचायत इसका एक प्रमुख उदाहरण बनकर उभरी है। एक शिकायतकर्ता ने कई बार पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों ने जांच के नाम पर केवल लीपापोती की। ग्रामीणों के अनुसार, प्रधान पति का स्थानीय सिस्टम पर इतना प्रभाव है कि वह हर स्तर पर दबाव बनाकर किसी भी निष्पक्ष कार्रवाई को रोक देता है।
“रिकवरी हुई तो भर देंगे”
ऐसी ही स्थिति असोथर ब्लॉक की टिकरी ग्राम पंचायत में भी देखने को मिल रही है, जहां प्रधान पर अपनी ताकत का दुरुपयोग करने का आरोप है। ग्रामीणों के अनुसार, प्रधान ने कथित तौर पर खुलेआम यह तक कह दिया कि “अगर रिकवरी हुई तो कोई परवाह नहीं, दो-चार लाख भर दिए जाएंगे।” इस तरह के बयान सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर व्याप्त निडरता को दर्शाते हैं और यह दिखाते हैं कि इन लोगों में प्रशासनिक कार्रवाई का कोई भय नहीं रह गया है।
इन मामलों ने जिले में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। जनता सवाल उठा रही है कि क्या योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति सिर्फ कागजों तक ही सीमित है? लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर कब सत्ता के संरक्षण में बैठे इन भ्रष्ट प्रधानों और सचिवों पर सख्त कार्रवाई होगी और कब सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में गरीबों तक पहुंचेगा।
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