• मासूम बच्ची के साथ बनाई थी ‘डबल मीनिंग’ रील, भाजपा नेता की शिकायत पर पुलिस ने दबोचा • कोर्ट में दिया एफिडेविट- ‘भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी’, तब जाकर मिली रिहाई
मेरठ: सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने की होड़ और ‘रील’ बनाने का नशा कई बार कानून की दहलीज तक ले जाता है। मेरठ के मशहूर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शादाब जकाती (Shadab Jakati) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। “10 रुपये वाला बिस्कुट कितने का है जी?” डायलॉग से वायरल हुए शादाब को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। मामला एक बच्ची के साथ अशोभनीय और ‘डबल मीनिंग’ रील बनाने का था। हालांकि, कोर्ट में लंबी बहस और लिखित माफीनामा देने के बाद उन्हें जमानत मिल गई।
क्या था पूरा मामला? आरोप है कि शादाब जकाती ने हाल ही में एक रील पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने एक मासूम बच्ची को दिखाते हुए द्विअर्थी (Double Meaning) और अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया था। वीडियो वायरल होते ही एक भाजपा नेता और सोशल एक्टिविस्ट ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और स्थानीय पुलिस से कर दी।
पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट ड्रामा शिकायत मिलते ही इंचौली पुलिस हरकत में आई और BNSS की धारा 170 के तहत मुकदमा दर्ज कर शादाब को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में बचाव पक्ष की दलीलों और शादाब द्वारा अपनी गलती मानने के बाद राहत मिली। शादाब ने कोर्ट में एक एफिडेविट (शपथ पत्र) सौंपा, जिसमें उन्होंने लिखा कि वे भविष्य में ऐसी कोई वीडियो नहीं बनाएंगे।
शादाब की सफाई: ‘मंशा गलत नहीं थी’ जमानत पर रिहा होने के बाद शादाब जकाती ने सफाई देते हुए कहा, “मैंने तो सिर्फ अपनी बच्ची को लेकर एक वीडियो बनाया था और उसकी मां की तारीफ की थी। हमारी कोई गलत मंशा नहीं थी।”
यह घटना उन सभी कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक सबक है जो लाइक्स और व्यूज के चक्कर में मर्यादा और कानून की सीमाएं लांघ जाते हैं।
(डिस्क्लेमर: आत्महत्या समस्या का हल नहीं है। यदि आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो मदद के लिए सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 पर संपर्क करें।)
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