लखनऊ की अदालत ने केस दाखिल करने वाले वकील को दोषी मानते हुए 10 वर्ष कारावास और ₹2.5 लाख का अर्थदंड सुनाया
लखनऊ: अधिवक्ता लाखन सिंह को कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग और झूठा मुकदमा दर्ज कराने के मामले में 10 साल 6 महीने की सजा और ₹2.51 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
जज ने सख्त लहजे में कहा कि लाखन सिंह ने अधिवक्ताओं जैसे प्रतिष्ठित पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। झूठे केस से न सिर्फ अदालत का समय बर्बाद हुआ, बल्कि कानून की गरिमा भी प्रभावित हुई
⚖️ “झूठे मुकदमों की फैक्ट्री चला रहे थे”
न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने तो झूठे मुकदमों की फैक्ट्री बना रखी है।” कोर्ट के अनुसार, लाखन सिंह अदालत में बार-बार काल्पनिक कहानियां सुनाकर फर्जी केस दायर किया करते थे। वह दो जिल्द फाइलों के साथ पेश होकर मनगढ़ंत घटनाओं पर आधारित मुकदमे दर्ज करवाते थे।
📂 20 झूठे केस, कई निर्दोष फंसे
जांच में सामने आया कि लाखन सिंह ने एससी/एसटी एक्ट के तहत कम से कम 20 फर्जी मुकदमे दर्ज कराए, जिनके कारण कई निर्दोष वर्षों तक कानूनी परेशानी झेलते रहे। इनमें से कुछ मामलों में उन्हें सरकारी राहत राशि भी मिली, जो अब वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।
🧾 प्रशासन को सख्त निर्देश
कोर्ट ने यह फैसला उत्तर प्रदेश बार काउंसिल, लखनऊ जिलाधिकारी, और पुलिस कमिश्नर को भी भेजने के आदेश दिए हैं ताकि:
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दोषी वकील को बार से निलंबित किया जा सके।
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यदि किसी झूठे केस के आधार पर सरकारी राहत मिली हो, तो वह राशि वसूल की जाए।
🚨 पहले से ही जेल में बंद
बता दें कि अधिवक्ता लाखन सिंह के खिलाफ पहले से ही धोखाधड़ी, बलात्कार, और आपराधिक साजिश जैसे कई गंभीर मामले विचाराधीन हैं। एक अन्य मामले में वे पहले से जेल में बंद हैं।
भूमि विवाद को लेकर अधिवक्ता लाखन सिंह ने अपने विपक्षियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट और हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराओं में फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। विशेष लोक अभियोजक अरविन्द मिश्रा ने अदालत को बताया कि लाखन सिंह का सुनील दुबे और रामचंद्र सहित अन्य लोगों से लगभग पांच बीघा जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।
इसी विवाद के चलते लाखन सिंह ने थाना विकास नगर में सुनील दुबे व अन्य के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने और जातीय उत्पीड़न के आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया। हालाँकि, जांच के दौरान यह मुकदमा पूरी तरह फर्जी पाया गया।
📍 मोबाइल लोकेशन से फर्जीवाड़ा उजागर
जांच अधिकारियों ने बताया कि घटना के समय आरोपितों की मोबाइल लोकेशन घटना स्थल से मेल नहीं खा रही थी, जिससे साफ हुआ कि वे मौके पर मौजूद ही नहीं थे। साथ ही, घटना की वास्तविकता यह थी कि लाखन सिंह की गाड़ी की टक्कर एक अन्य वाहन से हुई थी, जिसे लेकर समझौता भी हो चुका था।
जब यह तथ्य अदालत के सामने आया, तो न्यायालय ने लाखन सिंह के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए वाद दायर कर कार्रवाई शुरू की।
⚖️ पहले भी कर चुका है दुरुपयोग
अभियोजन पक्ष ने बताया कि लाखन सिंह स्वयं अनुसूचित जाति से हैं और उन्होंने पूर्व में भी एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करते हुए सुनील दुबे पर 20 से अधिक मुकदमे दर्ज कराए थे। सभी मुकदमों की विवेचना के बाद फाइनल रिपोर्ट लगाई जा चुकी है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उनका मकसद कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर व्यक्तिगत बदला लेना था।