उत्तर प्रदेश

हत्या की दोषी शबनम की फांसी फिर टली, दूसरी बार राज्यपाल को भेजी दया याचिका

नई दिल्ली: बावनखेड़ी हत्याकांड (Bawankhedi Murder Case) की दोषी शबनम (Shabnam) की फांसी एक बार फिर टल गई है. अमरोहा में जनपद न्यायालय ने अभियोजन से शबनम का ब्यौरा मांगा था. लेकिन सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि शुक्रवार को रामपुर जेल के माध्यम से शबनम की फांसी रोकने के संदर्भ में एक याचिका लगाई गई है. अब जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं आ जाता तब तक के लिए फांसी टाल गई है. 

शबनम ने दूसरी बार दया याचिका राज्यपाल को भेजी है. ये याचिका राष्ट्रपति को भेजी जाएगी तब तक के लिए शबनम की फांसी टल गई है. राष्ट्रपति के फैसले के बाद ही कोर्ट फैसला लेगी.

बता दें कि अनुछेद 32 के तहत राष्ट्रपति को दो बार दया याचिका भेजी जा सकती है. पहली बार याचिका तब भेजी गई थी जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे. लेकिन वो कोई फैसला नहीं दे पाए थे. रामनाथ कोविंद ने दया याचिका खारिज कर दी थी. उसके बाद दोबारा ये याचिका भेजी गई है.

ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि ये मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का है. जहां शबनम नाम की एक लड़की ने अपने परिवार के सभी 7 लोगों की हत्या कर दी थी क्योंकि, वो अपने प्रेमी से शादी करना चाहती थी और घर वाले शादी के खिलाफ थे. शबनम को लगा कि अगर वो अपने घर वालों को रास्ते से हटा दे तो शादी भी हो जाएगी और घर की संपत्ति पर भी उसका कब्जा हो जाएगा, जिससे वो अपनी जिंदगी आराम से गुजार लेगी. लेकिन शबनम अपराध के बाद अपने प्रेमी के साथ गिरफ्तार कर ली गई और उन दोनों को 2010 में अमरोहा की अदालत ने फांसी की सजा सुना दी.

बेटे की राष्‍ट्रपति से मार्मिक अपील 

अदालत के इस मामले को अब लगभग 13 वर्ष बीत चुके हैं. शबनम ने दिसंबर 2008 में जेल में एक बेटे को जन्म दिया था. अब ये कहानी उस बच्चे की भी है. वो बच्चा चाहता है कि देश का कानून शबनम को जीवनदान दे  क्योंकि, वो उसकी मां है. बच्चे ने राष्‍ट्रपति से एक मार्मिक अपील भी की है. अब सवाल ये है कि शबनम को फांसी होगी या नहीं.  क्या सात खून माफ किए जा सकते हैं?

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