यूपी में पैतृक संपत्ति के बंटवारे पर सरकार की बड़ी राहत: अब सिर्फ ₹10,000 का खर्च

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत अब पैतृक संपत्ति के बंटवारे से जुड़ी लिखा-पढ़ी (स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री) का कुल खर्च सिर्फ ₹10,000 होगा। यह फैसला उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानूनी और आर्थिक परेशानियों का सामना करते थे।
क्या है नया नियम?
इस नए फैसले के तहत, अब विभाजन विलेख पर अधिकतम ₹5,000 का स्टाम्प शुल्क और ₹5,000 का रजिस्ट्री शुल्क लगेगा, जिससे कुल खर्च ₹10,000 हो जाएगा। पहले संपत्ति के मूल्य के आधार पर 4% स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क देना पड़ता था, जो अक्सर काफी ज्यादा होता था।
इस छूट का लाभ किसे मिलेगा और क्या हैं शर्तें?
सरकार ने इस नई व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें रखी हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा:
* तीन पीढ़ियों तक के लिए: यह छूट केवल परिवार के सदस्यों के बीच अधिकतम तीन पीढ़ियों के वंशजों की पैतृक संपत्ति के बंटवारे पर ही लागू होगी।
* कानूनी उत्तराधिकार: बंटवारा वर्तमान उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार ही होना चाहिए।
* कुटुंब रजिस्टर: छूट पाने के लिए परिवार को तीन पीढ़ियों का उल्लेख करते हुए कुटुंब रजिस्टर प्रस्तुत करना होगा, जिसमें हर सदस्य के हिस्से का विवरण हो।
* रियल एस्टेट पर लागू: यह छूट सिर्फ आवासीय, व्यावसायिक और कृषि संपत्ति के बंटवारे पर ही मिलेगी।
* व्यक्तियों के लिए: यह छूट केवल वास्तविक व्यक्तियों के स्वामित्व वाली संपत्तियों पर ही लागू होगी। कंपनियों, फर्मों, ट्रस्ट या संस्थाओं की संपत्तियों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
सरकार का उद्देश्य और संभावित प्रभाव
सरकार का मानना है कि इस कदम से पैतृक संपत्ति के बंटवारे से जुड़े मुकदमों में कमी आएगी और लोग अपनी संपत्ति का बंटवारा कानूनी तरीके से करवाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे रजिस्ट्रीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, सरकार को इस फैसले से ₹5,58,54,060 की स्टाम्प शुल्क और ₹80,67,650 की रजिस्ट्री शुल्क राजस्व हानि होने की संभावना है, लेकिन इसका उद्देश्य जन कल्याण और लोगों को कानूनी रूप से मजबूत बनाना है।
इस कदम से उत्तर प्रदेश, जो कि देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, में लाखों परिवारों को फायदा होगा। यह फैसला संयुक्त परिवार प्रणाली और पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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