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रुपये में तीन वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट के बाद रिकवरी, डॉलर के मुकाबले 89.05 पर पहुंचा |

नई दिल्ली: पिछले सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन (शुक्रवार) भारतीय रुपये में 98 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले तीन वर्षों में रुपये की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट थी। इस गिरावट के बाद रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.66 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि अगले दो दिनों में रुपये ने उल्लेखनीय सुधार दिखाया।


आरबीआई के हस्तक्षेप और तेल कीमतों में गिरावट से मिली सहारा

विदेशी निवेशकों (FPI) की नेट बिकवाली के बीच कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और आरबीआई के सीधे हस्तक्षेप ने रुपये को और कमजोर होने से बचाया।

  • सोमवार को रुपया 50 पैसे मजबूत होकर 89.16 पर बंद हुआ।
  • मंगलवार को यह और 11 पैसे चढ़कर 89.05 पर पहुंच गया।

डॉलर की मजबूती से दबाव, MSCI रिबैलेंसिंग से मिली बढ़त

HDFC सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के अनुसार:

  • डॉलर की वैश्विक मजबूती रुपये पर दबाव बना रही है।
  • लेकिन एमएससीआई इंडेक्स रिबैलेंसिंग और
  • आरबीआई की ओर से संभावित दखल

की वजह से एशियाई मुद्राओं में रुपये की बढ़त सबसे अधिक रही।

उन्होंने बताया कि विदेशी कोषों की बिकवाली, बढ़ता व्यापार घाटा और डॉलर इंडेक्स की मजबूती अभी भी रुपये की धारणा को कमजोर कर रहे हैं।


24 फरवरी 2022 के बाद सबसे बड़ा उतारचढ़ाव

इससे पहले रुपये में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट 24 फरवरी 2022 को दर्ज की गई थी, जब यह 99 पैसे कमजोर हुआ था।

पिछले शुक्रवार को विदेशी बाजारों में बिकवाली और वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं ने डॉलर की मांग बढ़ाई, जिसके चलते रुपये पर भारी दबाव आया।


रुपये का आगे का रास्ताविशेषज्ञों की राय

दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ. आस्था अहूजा के अनुसार:

  • विदेशी निवेशकों का भरोसा अभी भारतीय बाजार पर कमजोर है।
  • जब तक बड़े स्तर की ट्रेड डील नहीं होती, अनिश्चितता जारी रह सकती है।
  • बढ़ता व्यापार घाटा रुपये की कमजोरी को बढ़ा रहा है।

उन्होंने कहा कि रुपये की गिरावट का असर आम उपभोक्ताओं और विदेशों में पढ़ रहे छात्रों पर भी पड़ रहा है, क्योंकि विदेश भेजे जाने वाले पैसों की लागत बढ़ गई है।


ट्रेड डील होने पर रुपये को मिल सकती है मजबूती

डॉ. आस्था अहूजा के अनुसार,
यदि भारत किसी बड़ी व्यापारिक सहमति (Trade Deal) तक पहुंचता है, तो रुपया 86–87 के स्तर तक नीचे (अर्थात मजबूत) आ सकता है।

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