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“ये प्यार है तो है…” : धर्मेंद्र और मीना कुमारी की वो अनकही दास्तां जो एक तस्वीर ने फिर ज़िंदा कर दी

मुंबई : बॉलीवुड के सुनहरे पन्नों को अगर पलटा जाए, तो कुछ कहानियां ऐसी मिलती हैं जो पर्दे की कहानियों से कहीं ज्यादा गहरी और जज्बाती होती हैं। ऐसी ही एक दास्तां है ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी और ‘ही-मैन’ धर्मेंद्र की। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक पुरानी श्वेत-श्याम तस्वीर ने एक बार फिर उस अनकहे रिश्ते की यादों को ताजा कर दिया है, जिसे दुनिया ने कई नाम दिए, मगर वो रिश्ता हमेशा ‘अनाम’ ही रहा।


विपरीत ध्रुव और एक अनोखा बंधन
यह रिश्ता विरोधाभासों का था। एक तरफ थीं संजीदा और खामोश मीना कुमारी, जो उस वक्त एक स्थापित कलाकार थीं। दूसरी तरफ थे पंजाब से आए एक हैंडसम, गबरू और संघर्षरत नौजवान धर्मेंद्र। ‘मिरर इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, साथ काम करते-करते दोनों के बीच एक ऐसा बंधन बन गया, जो दोस्ती से गहरा और इश्क से ज्यादा रूहानी था। मीना कुमारी, धर्मेंद्र की मासूमियत और प्रतिभा की इस कदर कायल थीं कि वे हर फिल्म में उन्हें ही अपना हीरो लेना चाहती थीं।


धर्मेंद्र का वो बयान: “फैन कहो या प्यार…”
जब दोनों की नजदीकियों के चर्चे फिल्मी गलियारों में आम होने लगे, तो सवाल उठना लाजिमी था। उस दौर में धर्मेंद्र ने इन अफवाहों पर जो कहा, वह आज भी एक पहेली बना हुआ है। धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में कहा था, “यह प्यार नहीं है, मैं सिर्फ मीना कुमारी का फैन हूं। फैन के तौर पर अक्सर उनके साथ होता हूं। लेकिन, एक फैन और स्टार के बीच के इस रिश्ते को आप प्यार का नाम देना चाहते हैं, तो इसे प्यार कह लीजिए—ये प्यार है तो है।”
यह बयान सिर्फ एक सफाई नहीं, बल्कि उस गहरे सम्मान और स्नेह की स्वीकारोक्ति थी जो धर्मेंद्र के दिल में मीना जी के लिए था।
टूटे दिल का सहारा
साल 1966 में फिल्म ‘फूल और पत्थर’ के दौरान यह रिश्ता अपने चरम पर था। यह वह दौर था जब मीना कुमारी, फिल्मकार कमाल अमरोही के साथ अपनी शादीशुदा जिंदगी में अकेलेपन और दर्द से जूझ रही थीं। ऐसे नाजुक वक्त में धर्मेंद्र का साथ शायद उनके लिए किसी मरहम से कम नहीं था। कहा जाता है कि धर्मेंद्र की मौजूदगी में वे अपना गम भूल जाया करती थीं।
एक अधूरी दास्तां
तमाम चर्चाओं और जज्बातों के बावजूद, यह रिश्ता किसी मंजिल तक नहीं पहुंच सका। समाज की बंदिशें और हालात के आगे यह मोहब्बत अधूरी ही रह गई। आज दशकों बाद, जब वह तस्वीर सामने आती है, तो बस यही याद दिलाती है कि बॉलीवुड की चकाचौंध के पीछे भी कुछ रिश्ते ऐसे थे, जिनके लिए शायद साहिर लुधियानवी ने लिखा था— “प्यार को प्यार ही रहने दो, रिश्तों का कोई नाम न दो।”

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