जोहान्सबर्ग: दक्षिण अफ्रीका में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी शांति प्रस्ताव चर्चा का मुख्य मुद्दा बन गया। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर पश्चिमी देशों ने गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं। उनका कहना है कि यह मसौदा अधूरा है और इसमें कुछ ऐसे तत्व शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं।
रूस की मांगों को प्रस्ताव में शामिल किए जाने पर नाराजगी
अमेरिका द्वारा तैयार किए गए मसौदे में रूस की कुछ प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है, जिनमें—
- डोनबास क्षेत्र के कुछ हिस्से रूस को सौंपने का सुझाव
- यूक्रेन की सैन्य क्षमता सीमित करने का प्रस्ताव
- यूक्रेन को नाटो में शामिल होने की इच्छा त्यागने का आग्रह
—जैसी शर्तें शामिल हैं।
इन्हीं बिंदुओं पर यूरोपीय देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जा सकतीं और किसी भी समझौते में यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान अनिवार्य है।
अमेरिका ने यूक्रेन को गुरुवार तक इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने की समयसीमा दी है।
यूरोपीय देशों का संयुक्त बयान: ‘इस मसौदे पर और काम की जरूरत’
G20 बैठक के दौरान ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, नीदरलैंड्स, आयरलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड, जापान, यूरोपीय संघ और कनाडा के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया।
बयान के मुख्य बिंदु:
- मसौदा कुछ महत्वपूर्ण तत्वों पर आधारित है
- लेकिन इसे अभी और काम की जरूरत
- सीमाओं को बलपूर्वक बदलने का कोई प्रयास स्वीकार्य नहीं
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर की चिंता
ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने प्रस्ताव में यूक्रेन की सैन्य क्षमता सीमित करने वाले बिंदु को “चिंताजनक” बताया।
उन्होंने कहा:
- किसी भी युद्धविराम के बाद यूक्रेन के लिए आत्मरक्षा सक्षम होना जरूरी
- जिनेवा में आगे होने वाली वार्ताओं में ब्रिटेन और अमेरिका की टीमें मिलकर काम करेंगी
स्टार्मर ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी बातचीत कर ब्रिटेन के समर्थन को दोहराया।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों: ‘G20 अपनी दिशा खो रहा है’
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने G20 की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि:
- समूह कई बड़े मुद्दों पर सहमति बनाने में विफल हो रहा है
- यदि सदस्य देश एकजुट नहीं हुए, तो यह मंच कमजोर हो जाएगा
- यूक्रेन में शांति, यूक्रेन की संप्रभुता के सम्मान के बिना संभव नहीं
उनकी इस चिंता का समर्थन प्रधानमंत्री स्टार्मर ने भी किया।
ट्रंप की गैर–मौजूदगी और शिखर सम्मेलन की चुनौतियाँ
इस बार G20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अनुपस्थित रहे।
रूस और चीन के शीर्ष नेताओं के भी शामिल न होने से बैठक की विश्वसनीयता पर सवाल उठे।
फिर भी, मेजबान राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि G20 आज भी वैश्विक सहयोग का महत्वपूर्ण मंच है और दुनिया की बड़ी चुनौतियाँ मिलकर ही हल की जा सकती हैं।
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