देश

विश्वविद्यालयों में T.I.R की तैयारी पर उठे सवाल

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जांच की मांगों की लंबी फेहरिस्त

लखनऊ: राज्य सरकार ने अब विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में T.I.R (Thorough Investigation Report) की तर्ज़ पर जांच का आदेश देने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद शैक्षणिक जगत से लेकर राजनीतिक हलकों तक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

विशेषज्ञों और जानकारों का कहना है कि अगर वास्तव में निष्पक्ष जांच होनी है, तो दायरा सीमित न होकर विस्तृत होना चाहिए। सवाल उठ रहे हैं कि–

  • सभी राज्य विश्वविद्यालयों की कमान सीधे मुख्यमंत्री के हाथों में क्यों न दे दी जाए?
  • उन वाइस चांसलरों की जांच कब होगी जो सिफ़ारिश और पर्चियों के लेन-देन से पदों पर पहुंचे हैं?
  • विवि की वित्तीय अनियमितताएं और परीक्षा घोटाले कब जांच के दायरे में आएंगे?
  • शिक्षकों की नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी गड़बड़ियां क्यों अनदेखी की जा रही हैं?
  • “NOT FOUND SUITABLE” का हथियार पीडीए के ख़िलाफ़ कैसे इस्तेमाल हो रहा है, इसकी भी पड़ताल हो।
  • मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों की जांच ज़रूरी है।
  • छात्रवृत्ति योजनाओं में घोटालों का हिसाब कौन देगा?
  • बुनियादी सुविधाओं के नाम पर जारी फंड हज़म करने वालों की जवाबदेही तय हो।
  • फर्जी डिग्री विवादों और निजी विश्वविद्यालयों में सत्ताधीशों के कालेधन की जांच भी की जानी चाहिए।


विरोधियों का कहना है कि अगर सरकार वास्तव में निष्पक्षता और पारदर्शिता का आदर्श प्रस्तुत करना चाहती है, तो जांच की शुरुआत वहीं से होनी चाहिए, जहां के कर्ताधर्ता स्वयं मुख्यमंत्री हैं।

आख़िर में आलोचकों की यह सलाह भी है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह जांच केवल विश्वविद्यालयों पर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई जीतने और अधिकारियों को वसूली का नया अवसर देने का माध्यम न बने।

ताजा और नया अपडेट पाने के लिए www.mirrorindnews.com पर विजिट करें। वीडियो देखने के लिए हमारे YouTube चैनल को subscribe,like & share करें। अपने क्षेत्र की खबर देने के लिए आप हमे Email: mirrorindnews@gmail.com कर सकते है l

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button