शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ीं: भ्रष्टाचार के 3 मामलों में 21 साल की सजा; भारत पर बढ़ा ‘वापसी’ का दबाव

• ढाका कोर्ट का फैसला: पूर्व पीएम समेत बेटे और बेटी को भी सजा, प्लॉट आवंटन में घपले का आरोप • विदेश मंत्रालय बोला- बांग्लादेश के प्रत्यर्पण अनुरोध की हो रही जांच, यूनुस सरकार अड़ी
ढाका/नई दिल्ली:भारत में शरण लिए हुए बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वहां की अदालत से एक और करारा झटका लगा है। ढाका की एक अदालत ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के तीन अलग-अलग मामलों में उन्हें दोषी करार देते हुए कुल 21 साल की कैद (हर मामले में 7-7 साल) की सजा सुनाई है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) उन्हें मौत की सजा भी सुना चुका है। इन फैसलों के बाद भारत सरकार पर हसीना को वापस भेजने का कूटनीतिक दबाव बढ़ गया है।
क्या है पूरा मामला? यह सजा ‘पूर्वाचल न्यू सिटी प्रोजेक्ट’ में सरकारी जमीनों के गैरकानूनी आवंटन और प्लॉट धोखाधड़ी से जुड़ी है। बांग्लादेश के एंटी-करप्शन कमीशन (ACC) ने आरोप लगाया था कि हसीना ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने परिवार और करीबियों को गलत तरीके से प्लॉट बांटे। अदालत ने इस मामले में न केवल शेख हसीना को, बल्कि उनके बेटे और बेटी को भी सजा सुनाई है। बता दें कि बाकी 3 मामलों में फैसला 1 दिसंबर को आएगा।
भारत के सामने ‘प्रत्यर्पण’ की चुनौती शेख हसीना पिछले एक साल से ज्यादा समय से भारत में रह रही हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस ने साफ मांग की है कि भारत को हसीना को वापस भेजना चाहिए ताकि उन पर छात्रों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हुए अपराधों का मुकदमा चलाया जा सके।
इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत सरकार अभी बांग्लादेश के उस अनुरोध की कानूनी और कूटनीतिक जांच कर रही है, जिसमें शेख हसीना के प्रत्यर्पण (Extradition) की मांग की गई है।
15 साल की सत्ता और पलायन गौरतलब है कि भारी छात्र विरोध और हिंसा के बाद शेख हसीना की 15 साल पुरानी सत्ता गिर गई थी, जिसके बाद उन्हें देश छोड़कर भारत भागना पड़ा था। अब अदालती फैसलों ने उनकी वतन वापसी की राह को और मुश्किल और विवादित बना दिया है।
(डिस्क्लेमर: आत्महत्या समस्या का हल नहीं है। यदि आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो मदद के लिए सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 पर संपर्क करें।)
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